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Showing posts from September, 2013

Left and Right

Left and Right The two parts of human body Have maintained a perfect coordination Left and Right The two sides of th road Have a perfect understanding Keep your left but overtake from right Left and Right The two political wings Have no compromise Right says, "Only we are right, others are wrong" Left cries, "Only might is right, Struggle is the path" A common man asks, Why do you fight? Just try to be polite. In the darkness of night You will see a ray of light. Honesty is clean and Hardwork is bright Love is warm and Thruth is white Cloth is made up of warp and weft Both are strong, both are straight Let balance be maintained and peace be kept. Because, if the Big Right and the Big Left Continues their nuclear race, And if the third world remains slept Then where will be right? And what will be Left? - Ashok Shridhar Warnekar

तन और मन

बड़े भाग्य से बना मनुज तू, सब पशुओं में अनुपम जंतु । इस जीवन में पा ले सब तू, वरना यह बेकार बंधू करले बेडा पार ।। प्रभु तुझको वरदान दिया है, सुन्दर तन मन प्राण दिया है । जग में ऊँचा स्थान दिया है, इसपर कर अभिमान बंधू कर इसका सम्मान ।। तन मन का है ऐसा नाता, जैसे राम जानकी माता । तन कटता तो मन भी रोता, तन थकता तो मन भी सोता ।। इसी प्यार ने दिया है तन को, बहुत बड़ा अधिकार तन पर बहुत बड़ा अधिकार ।। शीत लहर से जोर हवा से, तन यूँ कापे सिकुड़े सीना । मन में यदि तब डर आ जावे, उसी दशा में छूटे पसीना ।। बहुत कष्ट से तन थक जावे, हाथ पाँव भारी हो जावे । मन यदि तब खुश खबरी पावे, उसी दशा में नाच नचावे ।। मन चाहे तो तन हिलता है, मन चाहे तो तन डुलता है । मन हो यदि खुशहाल तुम्हारा, हसी ख़ुशी में तन खिलता है ।। रखना हो यदि तन को चंगा, मन निर्मल हो जैसे गंगा । गन्दा मन कर देता तन को, दीन दुखी बीमार बंधू, क्यों होता बीमार ।। सुन्दर तन से बना है मानव, तन की चाबी मन के अन्दर । खूब नशे में मन खो जावे, बन जाता तब मानव बन्दर ।। जीवन है यह एक तुम्हारा, चला गया तो फिर ना आवे । जी

प्रार्थना

हे प्रभो तेरी कृपा से, ज्ञान बल हम पा सके, सद्गुणों से पूर्ण होकर, देश ऊंचा कर सके सूर्य सा हम तेज पाए, चंद्रमा सी मधुरता, पृथ्वी सी हो सहनशक्ति, शुभ्र जल सी स्वच्छता, वायु सी गति हो हमारी, लक्ष्य तक पहुंचा सके, सद्गुणों से पूर्ण ..... ज्ञान तप से ही मिलेगा, कर्म से फल प्राप्त होगा, कष्ट से साहस बढेगा, भक्ति से मन शांत होगा, मुश्किलों के राह पर भी मुस्कुराते बढ़ सके, सद्गुणों से पूर्ण ..... ज्ञान पा कर हम हमारे स्वार्थ में मदमस्त न हो, शक्ति पा कर दुर्बलों को कुचलने में व्यस्त ना हो, दुक्ख पीडिता बहुजनों को सुखद शांति दे सके, सद्गुणों से पूर्ण ..... पुत्र है हम एक माँ के, एक अपनी सभ्यता, वेश भाषा अलग है पर हृदय में एकात्मता, विश्व को भी जोड़ने का मंत्र हम सिखला सके, सद्गुणों से पूर्ण ..... हे प्रभो तेरी कृपा से, ज्ञान बल हम पा सके, सद्गुणों से पूर्ण होकर, देश ऊंचा कर सके, यह राष्ट्र ऊंचा कर सके, यह देश ऊंचा कर सके । - अशोक श्रीधर वर्णेकर